Author: Shubhshree Mathur

Rezgari

रेज़गारी

रेज़गारी, समय,  प्रेम, अभिलाषा  पड़े हैं कहीं पतलून की साइड जेब  या कमीज़ की सामने वाली …

अकेले

अकेला

यह उसके लिए जो अकेला है कि अकेले तो सभी हैं हम दो हमारे दो में …

क्लिप

क्लिप

कोई आज़ाद पंछी नहींना ही उसका कोई पंख मैं तो वह छत पर बंधेतार पर टंगा …

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